बिल्लियों की लड़ाई

हम बच्चों के लिए हिन्दी की छोटी कहानियाँ, कक्षा 2 के स्तर की कहानी, लेके आतें है जो छोटी होने के साथ साथ मजेदार भी होती हैं

बहुत समय पहले की बात एक गांव में दो बिल्ली रहा करती थी। दोनों बहुत ही अच्छी दोस्त थी और दोनों आपस में बहुत प्यार से रहती थी। दोनों की दोस्ती का सभी लोग उदाहरण देते थे। वह दोनों बहुत खुश थीं। उन्हें जो कुछ भी मिलता था उसे आपस में मिल बांटकर खाया।

एक दिन दोनों दोपहर के वक्त खेल रही थी खेलते-खेलते दोनों को ज़ोर की भूख लग आई। वह खाने की तलाश में निकल पड़ी। कुछ दूर जाने पर एक बिल्ली को एक रोटी का टुकड़ा नजर आया । उसने झट से उस रोटी को उठा लिया, और जैसे ही उसे खाने लगी तो दूसरी बिल्ली ने कहा- अरे! या क्या तुम अकेले ही रोटी खाने लगी? मुझे भूल गयी क्या मैं तुम्हारी दोस्त हूँ और हम जो भी खाते हैं आपस में बाँट कर ही खाते हैं ।

पहली बिल्ली ने रोटी के दो टुकड़े किये और दूसरी बिल्ली की और एक टुकड़ा बढ़ाया यह देखकर दूसरी बिल्ली बोली , यहाँ क्या “तुमने मुझे छोटा टुकड़ा दिया”, यह तो गलत है। बस इसी बात पर दोनों में झगड़ा शुरू हो गया और झगड़ा इतना बढ़ गया कि सारे जानवर एकट्ठा हो, इतने में एक बंदर भी आ गया ।

दोनों को झगड़ते देख वो बोला, “अरे बिल्ली रानी क्यों झगड़ रही हो ?” दोनों ने अपनी दुविधा बंदर को बताई तो बंदर ने कहा बस इतनी सी बात मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ।

“मेरे पास एक तराजू है उसमें मैं ये दोनों टुकडों को तौल कर तुम्हें बता सकता हूँ कि कौन सा टुकड़ा बड़ा है और कौन सा छोटा”। फिर हम दोनों टुकड़े को बराबर कर लेंगे। बोलो तुम लोगों को मंजूर है। दोनों बिल्लियां तैयार हो गई।

बंदर पेड़ पर चढ़ा और तराजू ले आया। उसने दोनों टुकड़े को एक एक पलड़े पर रखा। तौलते समय उसने देखा कि एक पलड़ा भारी है, तो वो बोला “अरे यह टुकड़ा बड़ा है, चलो दोनों को बराबर कर दें”।

यह कहते ही उसने बड़े टुकड़े में से थोड़ा सा तोड़कर खा लिया।इस तरह से हर बार जो पलड़ा भारी हुआ, उस वाली तरफ से उसने थोड़ी सी रोटी तोड़कर अपने मुँह में डालनी शुरू कर दिया । दोनों बिल्लियां अब घबराकर देखती रही वो फिर भी चुपचाप बंदर के फैसले का इंतजार करती रही। लेकिन जब दोनों ने देखा कि दोनों टुकड़े बहुत छोटे छोटे रह गए हैं तो वो बंदर से बोली आप चिंता ना करो अब हम लोग अपनी रोटी आपस में बाँट लेंगे।

इस बात पर बन्दर बोला जैसा आप दोनों को ठीक लगे लेकिन मुझे भी अपनी मेहनत की मजदूरी तो मिलनी ही चाहिए। इतना कहकर बंदर ने रोटी के बचे हुए दोनों टुकड़े भी अपने मुँह मेँ डाल लिए और बेचारी बिल्लियों को वहाँ से खाली हाथ ही लौटना पड़ा। दोनों बिल्लियों को अपनी गलती का अहसास हो चुका था और उन्हें समझ में आ चुका था कि आपस की लड़ाई बहुत ही बुरी होती है और दूसरे इसका फायदा उठा सकते हैं।

इस कहानी से हम लोगों को यह शिक्षा मिलती है। कभी भी आपस में लड़कर रिश्ते खराब नहीं करने चाहिए । क्योंकि जब भी हम आपस में लड़ते हैं तो कोई बाहरी व्यक्ति इसका फायदा उठा सकता है ।

लेखक एक प्रशिक्षित शिक्षक, एवं बीटेक ग्रेजुएट होने के कारण हमेशा से ही टेक्नोलॉजी की मदद से प्राइमरी कक्षा के बच्चों के लिए कुछ नया करने के लिए प्रयासरत है|

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